छुरा का लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल सील, पेट दर्द का इलाज कराने आई आदिवासी महिला की ऑपरेशन के दौरान हुई थी मौत, ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक की वैधता पर भी जांच - newschakravyuh.in

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Saturday, May 25, 2024

छुरा का लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल सील, पेट दर्द का इलाज कराने आई आदिवासी महिला की ऑपरेशन के दौरान हुई थी मौत, ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक की वैधता पर भी जांच


धनेश्वर बंटी सिन्हा


 गरियाबंद:- रियाबंद जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छुरा स्थित लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को सील कर दिया है। दरअसल, इसी हॉस्पिटल में कुछ दिनों पहले पेट दर्द का इलाज कराने आई आदिवासी महिला की ऑपरेशन के दौरान मौत हो गई थी। इस संबंध में 23 मई को अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भी दिया गया था, जिस पर संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर यह कार्रवाई की गई है।


बता दें कि छुरा में संचालित लक्ष्मी नारायण अस्पताल प्रबंधन पर लगातार शिकायते मिल रही थी। कुछ दिन पहले ही कुल्हाड़ीघाट की आदिवासी महिला गैन्दू बाई इलाज कराने पहुंची थी।  35 वर्षीय आदिवासी महिला की बच्चा दानी में कैंसर होना बताकर बच्चा दानी निकाल दिया । तीन बार आपरेशन करने के बाद मामला बिगड़ता देख दूसरे अस्पताल रिफर कर दिया गया । इस दौरान हालत बिगड़ने से 10 मई को महिला की मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों ने 22 मई को मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कई बिंदुओं पर अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था।


प्रशासन ने अस्पताल किया सील


शिकायत के बाद गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने जांच के निर्देश दिए थे। जिस पर सीएमएचओ गार्गी यदु ने जांच टीम गठित कर इलाज से जुड़े जरूरी दस्तावेज जब्त किए । 23 मई को अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नोटिस भी जारी कर दी गई थी। विभाग द्वारा नोटिस का जवाब संतोषप्रद नहीं होने के कारण प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया है।


गैंदी बाई गर्भवती थी, बगैर जरूरी टेस्ट के ऑपरेशन


बताया जा रहा है कि जब्त दस्तावेज में जांच टीम को हिस्टोपैथ की जांच रिपोर्ट मिली, जिसमें 29 वर्षीय गैंदी बाई गर्भवती (एक्स्ट्रा यू ट्राईज प्रेगनेन्सी ) होने की पुष्टि की गई है। कैंसर के आरंभिक लक्षण के आधार पर बच्चा दानी का ऑपरेशन करने के बाद अंदर मिले मांस के टुकड़े को अस्पताल प्रबंधन ने जांच के लिए भेजा था। जांच में पाया गया कि प्रबंधन ने बगैर एक्सपर्ट ओपिनियन के ही ऑपरेशन कर दिया। एक नहीं दो बार पेट में चीरा लगाने की भी पुष्टि हुई है। ऑपरेशन से पहले ना तो गाइनिकोलोजिस्ट से ना ही प्रेगनेसी यूरिन टेस्ट कराया गया था।


ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक की वैधता पर भी जांच


बताया जाता है कि उक्त ऑपरेशन करने वाला सिविल सर्जन महासमुंद मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है। जांच टीम उक्त चिकित्सक द्वारा फ्री लॉस कार्य करने के लिए बनाए नियमों का पालन किया गया है या नही, ऑपरेशन अवधि में कार्य स्थल किस जगह बताया गया, इन तमाम बिंदुओं पर जांच करेगी। जिसके बाद आगे की कार्रवाई कर सकती है। मामले की जांच के लिए बनाए गए नोडल अधिकारी डा जीएस ध्रुव, डॉ.ए. के. हुमने, डा हरीश चौहान समेत छुरा बीएमओ व स्थानीय राजस्व पुलिस विभाग के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यह कार्यवाही की गई है।

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