ओबीसी के संवैधानिक अधिकार खतरे में, राज्यपाल के दरबार में धूल खाते पड़ा है आरक्षण संशोधन बिल - अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू - newschakravyuh.in

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Sunday, March 3, 2024

ओबीसी के संवैधानिक अधिकार खतरे में, राज्यपाल के दरबार में धूल खाते पड़ा है आरक्षण संशोधन बिल - अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू


 धनेश्वर बंटी सिन्हा


 धमतरी:- पिछड़े- अति पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकार को खतरे में  होना बताते हुए अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ के राष्ट्रीय महासचिव एवं ओबीसी संयोजन समिति छत्तीसगढ़ के संस्थापक अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू ने अपने आवास पर पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल गठबंधन बनाकर चाहे कोई भी सियासी चाल चले इस बार नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पिछड़े वर्गों को आबादी के अनुसार 52% हिस्सेदारी (आरक्षण) देने और जातीय जनगणना करवाने के अपने वादे से मुकर जाने का मुद्दा ही आगामी लोकसभा चुनाव के केंद्र बिंदु में होगा।  ओबीसी के लोग ख़ासकर युवक - युवतियां अब अपने संवैधानिक हकों व स्वाभिमान को प्राप्त करने के लिए मरने- मिटने को तैयार हैं। जो ओबीसी विरोधी नीतियों का भंडाफोड़ करने के लिए संघ द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जारी आजादी की दूसरी लड़ाई के तहत जागरूकता के कार्यक्रम को राजधानी रायपुर से तेज करने जा रहे है । 


अधिवक्ता साहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संघ के सुझावों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 15(4) व 16(4) में संशोधन कर मंडल आयोग को पूर्णतः लागू करने एवं जातिगत जनगणना करवाने की शीघ्र घोषणा करने की अपील करते हुए कहा कि हमने संघर्षों एवम पत्राचार के माध्यम से निरन्तर अवगत कराया है, कि पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकारों को अवैधानिक अड़चने पैदा कर कुचलने का षडयंत्र किया जा रहा है जिसके कारण ही देश के विभिन्न राज्यों में लागू आरक्षण नीति मे असमानता व खामियों को दूर नहीं किया जा सका है, छत्तीसगढ प्रदेश के ही परिपेक्ष्य में देखें तो आरक्षण संशोधन बिल 2022 जो विधान सभा में सर्व सम्मति से सभी दलों के समर्थन से पारित हुआ है वह भी विगत डेढ़ सालों से राज्यपाल के दरबार में धूल खाते पड़ा हुआ है, डेढ़ सालों में एक हस्ताक्षर भी नही हो पाया है, जो घोर निंदनीय, अलोकतांत्रिक, अवैधानिक एवम मानसिक प्रताड़ना से भरा हुआ है जिसे दूर करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की है, यदि समय रहते इस पर संज्ञान नही लिया गया तो आगामी लोकसभा चुनाव मे इसका विपरीत असर दिखेगा।

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